Sunday, February 5, 2012

मकबूल फ़िदा हुसैन


एक बच्चा फेंकता है 
मेरी ओर 
रंग बरंगी गेंद 

तीन टिप्पे खा 
वोह गई 
वोह गई

मैं हँसता हूँ अपने आप पर 
गेंद  को केच करने के लिए 
बच्चा होना पड़ेगा 
नंगे पैरों का सफ़र 
ख़तम नहीं होगा 
यह रहेगा हमेशा के लिए

लम्बे बुर्श का एक सिरा 
आकाश में चिमनिया टाँगता
दूसरा धरती को रंगता है

वो जब भी ऑंखें बंद करता 
मिट्टी का तोता

एक बच्चा फेंकता है 
मेरी ओर 
रंग बरंगी गेंद 

तीन टिप्पे खा 
वोह गई 
वोह गई

मैं हँसता हूँ अपने आप पर 
गेंद  को केच करने के लिए 
बच्चा होना पड़ेगा 
नंगे पैरों का सफ़र 
ख़तम नहीं होगा 
यह रहेगा हमेशा के लिए

लम्बे बुर्श का एक सिरा 
आकाश में चिमनिया टाँगता
दूसरा धरती को रंगता है

वो जब भी ऑंखें बंद करता 
मिट्टी का तोता उड़ान भरता    
कागत पर पेंट की लड़की
हंसने लगती
नंगे पैरों के सफ़र में
रली होती धूड मिट्टी की महक 

जलते  पैरों तले
फ़ैल जाती हरे रंग की छाया
सर्दी के दिनों में धूप हो जाती गलीचा

नंगे पैर नहीं पाए जा सकते
किसी पिंजरे में

नंगे पैरों का हर कदम
स्वतंतर  लिपि का स्वतंतर  वरण

पड़ने के लिए नंगा होना पड़ेगा
मैं डर जाता 
एक बार उसकी दोस्त ने 
दी तोहफे के तौर पर दो जोड़ी बूट 
नर्म  लैदर

कहा उसने 
बाज़ार चलते हैं 
पहनो यह बूट

पा लिया उसने
एक पैर में भूरा 
दुसरे में काला

कलाकार  की यात्रा  है यह
शुरूआत रंगो की थी 
और आखिर भी 
हो गई रंग 

रंगों पर कोई मुकदमा नहीं हो सकता 
हदों सरहदों का क्या अर्थ  रंगों के लिए

संसार  के किसी कोने में 
बना रहा होगा कोई बच्चा सियाही
 संसार के किसी कोने में
अभी बना रहा होगा
कोई बच्चा
अपने नन्हे हाथों से
नीले काले घुगू घोड़े

रंगों की कोई कबर नहीं होती .